जामिया अरबिया हथौरा, जो बाँदा, उत्तर प्रदेश में स्थित है, एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है जो लोकतांत्रिक भारत की धरती में गहराई से जड़ें जमाए हुए है। इस्लामी शिक्षा की बढ़ती माँग को पूरा करने और उच्च स्तरीय इस्लामी अध्ययन में सार्थकता की कमी को दूर करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। यह संस्थान भारत में इस्लामी प्रचार-प्रसार को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बाँदा शहर से लगभग 16 किलोमीटर पूर्व, बाँदा-बबेरू मार्ग पर स्थित हथौरा गाँव इस मार्ग से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस छोटे से गाँव को प्रारंभ में हुसैनी, वस्ती और सादात समुदायों ने बसाया था, और इसे पहले “हुसैनपुर” के नाम से जाना जाता था।

हज़रत सैयद हुसैन अहमद से जुड़ी एक उल्लेखनीय घटना के पश्चात इस गाँव का नाम बदलकर “हथौरा” रख दिया गया।

📜 हमारा सफ़रनामा

अल्लाह की कृपा से हमारी सफलता का सिलसिला भारत की आज़ादी के बाद के दौर से लेकर आज तक फैला हुआ है।

🇮🇳 आज़ादी का सूर्योदय (1947)

1947 में भारत की स्वतंत्रता और उसके बाद के सामाजिक उथल-पुथल के दौर में, इस क्षेत्र के अशिक्षित और हाशिए पर पड़े मुस्लिम समुदायों को सामूहिक धर्मांतरण के गंभीर ख़तरे का सामना करना पड़ा। सामाजिक अस्थिरता और अशांति के कारण इस्लामी पहचान संकट में पड़ गई थी।

🕌 जामिया अरबिया की स्थापना (1952)

इसी समय, जामिया अरबिया हथौरा के संस्थापक हज़रत मौलाना मोहम्मद सैयद सिद्दीक़ अहमद बांदवी रह. उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर में शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे थे। जब उन्हें सामूहिक धर्मांतरण की चिंताजनक घटनाओं की जानकारी मिली, तो वे अत्यंत व्यथित हुए। इस प्रवृत्ति को रोकने और इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से उन्होंने 1952 में जामिया अरबिया हथौरा की स्थापना की।

🏗️ जामिया का विस्तार (1975)

जामिया की शुरुआत गाँव की मस्जिद की खपरैल छत के नीचे अत्यंत साधारण ढंग से हुई थी। लेकिन जैसे-जैसे संस्था का विस्तार हुआ, छात्रों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई। 1975 में नए कमरों का निर्माण किया गया। इसी वर्ष हथौरा में एक विशाल सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें दस हज़ार से अधिक लोगों ने भाग लिया, यह जामिया के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।

🌍 प्रमुख इस्लामी संस्थानों में स्थान (2022)

सत्तर वर्षों से ज़्यादा की स्थापना यात्रा के बाद, जामिया अरबिया संघर्ष, समर्पण और सफलता की एक जीवंत मिसाल बन चुका है। आज यह संस्था राज्य और राष्ट्र की सीमाओं को पार करते हुए नेपाल, मलेशिया, अफ्रीका, अमेरिका, ब्रिटेन सहित अनेक देशों में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा चुकी है।

🏫 वर्तमान में जामिया अरबिया

आज जामिया अरबिया में भारत सहित कई देशों के छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसकी शाखाएँ भारत और विदेशों में सक्रिय हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में छात्र अपनी शिक्षा पूर्ण करते हैं। 1952 से अब तक, जामिया ने सैकड़ों विद्वानों को तैयार किया है, जो अल्लाह की कृपा से भारत और विश्वभर में इस्लामी शिक्षा और दावत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।

🌹 जामिया की विशेषता

जामिया अरबिया एक वीरान रेगिस्तान में खिले गुलाब की तरह है। यहाँ के छात्रों में फ़ुटबॉल और क्रिकेट लोकप्रिय खेल हैं। इसकी सुंदरता और भव्यता मन को मोह लेती है। जामिया में कदम रखते ही एक रूहानी सुकून और इलाही नूर का एहसास होता है। हरे-भरे मैदान, मैदान में चरते हुए हिरण, पानी के टैंक और मेहमानों के लिए विशेष गर्मजोशी से भरा स्वागत—यह सब मिलकर जामिया को एक अनोखा वातावरण प्रदान करते हैं।